आप अच्छे संदेश देती है दयनीय बच्चों के चित्र देखे । न जाने कब से यह चल रहा है और कब तक चलेगा । आज ही आपके दूसरे ब्लाग पर ज्ञान जी का व्यंग्य पढा। आपकी पसंद उत्तम है मैने आपके ब्लाग पर दुष्यंत जी की गजल देखी है।
डेढ़ मिनिट से भी कम अवधि का वृत्त चित्र सब कुछ कह गया .सोते हुए को जगाना आसान है लेकिन जो जाग रहा है उसे कैसे जगाया जाए .६४ साल की आज़ादी का हासिल है यह बाल -शोषण ,पोषण और दोहन की उम्र में शोषण । न हो कमीज़ तो पांवों से पेट ढक लेंगें , ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए .और यह सब इसलिए बच्चे वोट बैंक नहीं हैं ,अल्प -संख्यक नहीं हैं .भारत सबसे ज्यादा जवान देश है .ये ही है कल का अहिन्दुस्तान जिसके विकास की रफ्तार का ढोल दिन में बारहा पीटा जाता है .इंडिया हेबीटाट सेंटर के तल घर में.
17 टिप्पणियां:
बंधुआ बाल श्रमिकों की हृदयविदारक छवियाँ हैं. इससे पता चलता है कि हम मानव संसाधन प्रबंधन में कितने पिछड़े हुए हैं.
आपका हृदय से आभार.
सुंदर सार्थक सन्देश .........आभार
इसे रोकना जरुरी है ! सुन्दर
सार्थक सन्देश
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हाँ इसे रुकना चाहिए..... सुंदर सन्देश
We all need to be vigilant enough and should have willingness to remove it from the core of our society.
You are doing great job by writing and highlighting on various problems of our society. Keep it up.
Many thanks for your comment on my blog.
Regards
Fani Raj
यह प्रस्तुति बहुत सुन्दर और प्रेरणा देने वाली है.लेख आँखे खोलता है.
आप अच्छे संदेश देती है दयनीय बच्चों के चित्र देखे । न जाने कब से यह चल रहा है और कब तक चलेगा । आज ही आपके दूसरे ब्लाग पर ज्ञान जी का व्यंग्य पढा। आपकी पसंद उत्तम है मैने आपके ब्लाग पर दुष्यंत जी की गजल देखी है।
मन-मस्तिष्क को झकझोर देने वाले चित्र .....सार्थक प्रस्तुति
बाल श्रम पर सटीक और सार्थक प्रस्तुति
Sabhya samaj kahlane ka adhikar tabhi hai, jab aisi paranparayein band hon.
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच{16-6-2011}
बहुत ज़रूरी है की समाज में बाल श्रम के प्रति जागरूकता आये। ये उम्र पढने खेलने की है , श्रम की नहीं।
बाल मजदूरी का विरोध कीजिये ||
सार्थक प्रस्तुति ||
डेढ़ मिनिट से भी कम अवधि का वृत्त चित्र सब कुछ कह गया .सोते हुए को जगाना आसान है लेकिन जो जाग रहा है उसे कैसे जगाया जाए .६४ साल की आज़ादी का हासिल है यह बाल -शोषण ,पोषण और दोहन की उम्र में शोषण ।
न हो कमीज़ तो पांवों से पेट ढक लेंगें ,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए .और यह सब इसलिए बच्चे वोट बैंक नहीं हैं ,अल्प -संख्यक नहीं हैं .भारत सबसे ज्यादा जवान देश है .ये ही है कल का अहिन्दुस्तान जिसके विकास की रफ्तार का ढोल दिन में बारहा पीटा जाता है .इंडिया हेबीटाट सेंटर के तल घर में.
बाल मजदूरी के खिलाफ तो देश के हर कोने से आवाज उठनी चाहिए। इसमें जहां जो भी कुछ कर सकता है, आगे आना चाहिए।
बहुत ही खुब
ह्रदय की गहराइयों से अभिनंदन
💐💐
एक टिप्पणी भेजें