जय हिन्द वन्देमातरम

जय हिन्द   वन्देमातरम

सोमवार, 23 जनवरी 2012

सरकारी लोकपाल की खामियां

अभी अभी मैंने एक वीडियो देखा तो सोचा की आप लोगों से भी इसे साझा करूँ. यह वीडियो  सरकारी लोकपाल के खामियों को उजागर करता है साथ ही साथ  भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की सरकार की  दोहरी नीति को भी प्रकट करता है. .. यह वीडियो पूरा देखिये.

इस वीडियो में आपको निम्न प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे ...
१) लोकपाल बिल जब आ चुका है तो अन्ना क्या मांग कर रहे हैं.?
२) अन्ना की कितनी मांगे इस सरकारी लोकपाल में मान ली  गई हैं ?
३) इस बिल के पास होने से लोगों को फायदा है या नुकसान ?
४)सरकारी अधिकारी जिसके खिलाफ शिकायत की जाएगी उसे शिकायत के बाद कितनी सुविधा दी गई है ?
५)शिकायतकर्ता को शिकायत करने के बाद कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है ?
६) जन समूहों (पब्लिक ट्रस्टों ) को किस तरह से सरकार ने अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया है ?
७)सरकारी तंत्र की जाँच फिर से किस तरह सरकार के प्रभाव में ही है ?





थोड़ी इनकी मंशा भी देख लीजिये ये तो कह रहे हैं बाकि तो कह भी नहीं पा रहे हैं...








रविवार, 2 अक्तूबर 2011

बापू को नमन



राजघाट 



आज गाँधी जयंती है . आज के दिन हम विशेष रूप से गाँधी जी को याद करते है .  पिछले वर्ष दिल्ली जाना हुआ तो हम राजघाट भी गए थे और वहाँ गांधीजी के विचारों को हमने कैमरे में कैद करने का प्रयास किया . इन विचारों से आप भी लाभ उठायें.














इन विचारों के  बाद गांधीजी को याद करते  हुए प्रस्तुत है एक पुराना गीत ...



गाँधी के विचारों से प्रभावित और आधुनिक रंग में रंगी हुई गांधीगिरी शब्द को प्रचलित करने वाला गीत ...



बापू को शत शत नमन . ....

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

राष्ट्र भाषा हिंदी और राष्ट्रीय खेल हॉकी



सबसे पहले आप सभी लोगों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ  . देश के विभिन्न भागो में इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गए . पुरे दुनिया में हिंदी से जुड़े लोगों ने हिंदी दिवस को मनाया और आगे भी मानते रहेंगे. सरकारी बिभागों ने कुछ लोगों की नियुक्ति ही इसलिए कर के रखी है जिससे की हिंदी दिवस हर साल मनाकर एक औपचारिकता पूरी की जा सके .  कुछ एक कार्यक्रमों में हमने ऐसा भी देखा कि इस विशेष अवसर पर बड़े बड़े विद्वान अपने विचार रखते हुए हिंदी में न बोल पाने की मजबूरी बताते हुए माफ़ी भी मांग लेते हैं .
सरकार भले ही हिंदी दिवस को एक औपचारिकता समझती हो लेकिन कई विद्वानों ने इसके महत्व को समझा हैं ......

"अपनी संस्कृति  की विरासत हमें संस्कृत ,हिंदी ,गुजराती इत्यादि देशी भाषाओँ के द्वारा ही मिल सकती है. अंग्रेजी को अपनाना आत्मनाश होगा. सांस्कृतिक आत्महत्या होगी ."                                    
 ------महात्मा गाँधी    

"देश के सबसे बड़े भूभाग में बोली जाने वाली हिंदी ही राष्ट्रभाषा की अधिकारिणी है  "                      
------सुभाषचंद्र बोस       

"अखिल भारतवर्ष में हिंदी एक समान रूप से लोकप्रिय संपर्क भाषा है ,और सभी के लिए इसे बोलना ,समझाना सिखाना अच्छा है  " 
 ----चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य      

                                                                                                                                                                              "सभ्य संसार  के किसी भी जन -समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है  "                     
   -------महामना मदनमोहन मालवीय           


"अपनी मातृभाषा बांगला में लिखाकर मैं  "बंगबंधु "  तो हो गया ,किन्तु "भारतबंधु " मैं तभी हो सकूँगा जब भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखूंगा "
------          बंकिम चन्द्र चटर्जी   

                                                                                                                                                                           "हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओँ की हानि नहीं , वरन लाभ है  "    
 --------अनंतशयनम  अयंगार                                                           



"सरलता से सीखी जाने योग्य भाषाओँ में हिंदी सर्वोपरि है   "                     
   -------------लोकमान्य बालगंगाधर  तिलक                                       


"हिंदी वाह धागा है जो विभिन्न  मातृभाषा रूपी फूलों को पिरोकर भारतमाता के लिए सुन्दर तार का सृजन करता है "
डॉ. जाकिर हुसैन   

                                                                                                                                                                               "अंग्रेजी यहाँ दासी या अतिथि के रूप में ही रह सकती है .बहुरानी के रूप में नहीं   "              
 ------फादर कामिल बुल्के         


"हिंदी सीखे बिना भारतीयों के दिल तक नहीं पहुंचा जा सकता    "                                    
 --------डॉ लोठार लुत्से                                                     



"हिंदी हर प्रदेश में संयोजक भाषा के रूप में फैल गई है .यही भारत की राष्ट्रभाषा बन सकती है .अत यथाशीघ्र अपनी भाषा को राष्ट्रभाषा की प्रतिष्ठा देनी चाहिए .नहीं तो भारत इस संसार में और अधिक पिछड़ जाएगा   "                                 
------योहचि युकिशिता (जापान)                            



"हिंदी एक समृद्ध भाषा है .इसमें कोई दो मत नहीं हो सकता ,हिंदी एक सरल भाषा है और देवनागरी जैसी लिपि तो शायद ही कोई हो  "                        
-----डॉ प  आ वारान्निकोव  (हिंदी के प्रसिद्ध रुसी विद्वान् )    


"हिंदी ही भारत की एकमात्र राजभाषा हो सकती है भारत में उसकी पूरी प्रतिष्ठा होने पर यह सहज ही अंतरराष्ट्रीय भाषा बन सकती है ,क्योंकि अनेक देशों में हिंदी के अध्ययन में रूचि ली जा रही है   "                                                     

----बांक कन्वे  (कोरियाई भाषाविद एवं संस्कृत -हिंदी के विद्वान् )      



"हिंदी एक ऐसी भाषा है जो भारत में सर्वत्र बोली और समझी जाती है    "            
          -------जोर्ज ग्रियर्सन                                                         




"मैं चाहता हूँ कि  भारत की राजभाषा हिंदी तेरह कोहिनूरों का किरीट धारण कर भारतीय रंगमंच पर अवतीर्ण हो और मैं उसके इस रूप को इन्हीं आँखों से इसी जीवन में देखूं   "                                                 
 ---------ओडोलेन स्मेकल  ,   चेकेस्लोवाकिया 



ये तो रही विश्व भर के विद्वानों की हिंदी भाषा के सम्बन्ध में उल्लेखनीय विचार, अब  हमारे देश के माननीय गृह मंत्री का  हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम सन्देश  पर भी कुछ बात हो जाये . कभी गलती से भी हिंदी न बोलने वाले मंत्री जी का सन्देश विचारणीय है. ....

उन्होंने नगर राजभाषा कार्यान्वन समितियों के स्थापना की बात कही है .
हमें हिंदी का भी उतना ही ज्ञान होना चाहिए जितना प्रांतीय और अंतराष्ट्रीय भाषाओँ का .
उन्होंने हिंदी भाषा  के प्रगति के लिए कार्य कर रही विभिन्न सरकारी संस्थाओं को और प्रभावी बनाने पर बल दिया है .
.
.
.
कुल मिलाकर मेरा मन तो यही कहता है की भारत में अंग्रेजी का हाल क्रिकेट और हिंदी का हाल  हॉकी जैसा है . जैसे कि हिंदी आज़ादी के बाद से ही आज तक अपना सम्मान पाने के लिए संघर्ष कर रही है वैसा ही हाल हॉकी का भी है . 

फिर भी हम तो आशावान है बौलीवुड , सॉफ्टवेयर जगत के दिग्गजों ( माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ) , सी-डेक , ब्लॉगजगत , विकिपीडिया , इन्टरनेट एवं विभिन्न हिंदी पुस्तकों के प्रकाशकों ने जो उल्लेखनीय कार्य किया है वह सराहनीय है . ये सभी आगे  भी हिंदी भाषा की प्रगति के लिए कार्य करते रहेंगे  और इस भाषा  को ऊँचे शिखर पर जरुर  ले जायेंगे. 

आपके क्या विचार है .........................?

शनिवार, 27 अगस्त 2011

लोकतंत्र का जश्न



आज जैसे ही लोकसभा में और फिर राज्यसभा में अन्ना के जन लोकपाल  के तीनो मांगो को मेंज  थपथपाकर स्वीकार किया गया और फिर संसद के स्थायी समिति के पास भेजने की अपील की गई , भारतीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया.


लोग एक दूसरे को बधाई देने लग गए. बधाई देने का सिलसिला अपने-अपने अंदाज में देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार जारी है . लोकतंत्र के जश्न की शुरुआत हो चुकी है . ................अभी बहुत कुछ करना शेष है.        आप सब को भी परिवर्तन के इस नए दौर के शुभारम्भ पर बधाई.

बुधवार, 17 अगस्त 2011

मैं भी अन्ना तू भी अन्ना अब तो सारा देश है अन्ना

इस समय देश लगभग पूरी तरह से अन्ना के साथ में खड़ा हो गया है. देश में लगभग हर जगह लोग अन्ना के  समर्थन  में खड़े हुए नज़र आ रहे है .पूरे देश में   आन्दोलन सा माहौल दिखाई दे रहा है . आन्दोलन का कोई नेतृत्व नहीं है , लोग स्वयं ही नेतृत्व कर रहे है. आखिर आन्दोलन क्यों न हों. ....?
 अन्ना का राष्ट्र के नाम सन्देश जो पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने  से पहले का हैं देखिये.


अपने अनुसार यथा संभव आन्दोलन का समर्थन ज़रूर  कीजिए....


शनिवार, 13 अगस्त 2011

रक्षाबंधन की शुभकामनाए


आज रक्षाबंधन का महत्वपूर्ण दिन है . इसलिए सबसे पहले रक्षाबंधन की शुभकामनाए .रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्यौहार है  . आज के दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है . यह राखी सूत के कच्चे धागे से लेकर बहुमूल्य रेशमी धागों और सोने चांदी की बनी भी होती है . राखी चाहे कैसी भी हो यह तो बहन का भाई के  प्रति प्रेम प्रकट करती है .

जिस समय बहन भाई को राखी बांधती है घर का कोई बुजुर्ग यह मंत्र जरुर पढता है .
येन बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

जिसका अर्थ है " जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबन्धन से मैं तुम्हें बांधता हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।"

इतिहास में भी  रक्षाबंधन के महत्व को उजागर करने वाली कहानिया मौजूद है . 
 मेवाड़ की महारानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्वसूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी। उसने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की।कहते है सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवदान दिया।

यह वीडियो देखिये और रक्षाबंधन का त्यौहार जरुर मनाइए..


एक बार फिर सभी भाई बहनों को रक्षाबंधन की शुभकामनाए.




रविवार, 24 जुलाई 2011

एक अदभुत प्रतिभा

कुछ दिनों पहले मुझे एक व्यक्ति के बारे में पता चला. वह व्यक्तित्व आज के समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा व्यक्ति संसार के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन सकता है. मुझे लगा  यदि हम इस व्यक्ति को देख भर ले तो भी हमारी निराशा गायब हो जाएगी. आज आपको उस व्यक्ति के बारे में बता रही हूँ .

यह व्यक्ति है निकोलस जेम्स वोयेचिक . इन्हें निक के नाम से भी जानते है. निक का जन्म ४ दिसंबर १९८२ को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन शहर में हुआ. जन्म के समय से ही निक के हाथ और पैर नहीं थे. बिना हाथ -पैर के जिन्दगी सरल नहीं थी.

 निक को स्कूल में प्रवेश के लिए भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निक ने बाल्यावस्था में ही अवसाद से ग्रस्त हो कर आत्महत्या का प्रयास किया.  इन अवसाद के क्षणों में उनकी माँ ने उन्हें एक व्यक्ति के बारे में बतया जो एक साथ कई बिमारियों से  पीड़ित था.

 निक को लगा कि वह अकेले नहीं है जो कठिनाई भरी जिन्दगी जी रहे है.  उसके बाद उन्होंने अपने जीवन को आसान बनाने  के लिए अपने रोजमर्रा के काम को अपने ढंग से पूरा करने का प्रयास किया.

 उन्होंने अपने रोजमार्रा के कार्य जैसे कंप्यूटर चलाना , दाढ़ी बनाना , कंघी करना, मोबाइल से बात करना ,  आदि खुद करना सीख लिया . उन्होंने यह जान लिया था कि वह दूसरो के लिए  प्रेरणा -स्त्रोत हो सकते है.सत्रह वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रार्थना समूहों में भाषण देना शुरू किया और साथ ही साथ अपना एक एन जी ओ " Life Without Limbs "शुरू किया . 

निक ने लेखा और वित्तीय प्रबंधन में अपना स्नातक पूरा किया .  उनकी पुस्तक "लाइफ विदाउट लिम्ब्स" एक सफल पुस्तक रही. बाद में उन्होंने डी वी डी के माध्यम से अपने प्रेरक विचार लोगों तक पहुचाये .

जहाँ तक निक की निजी जिन्दगी का सवाल है वे अपनी पत्नी और बच्चे  के साथ सफल जिन्दगी जी रहे है. आज निक केलिफोर्निया में रहते है और दुनिया के सबसे महंगे प्रेरक वक्ता के रूप में जाने जाते है.



 उन्होंने अनेको देशों में जाकर विभिन्न कारपोरेटों और स्कूलों में जाकर अनेको लोगों को प्रोत्साहित किया है.
 हम जैसे लोग बिना हाथ और पैर के जिन्दगी की कल्पना भी नहीं कर सकते, जबकि निक ने केवल अपनी ही जिन्दगी को नहीं संवारा बल्कि अपने विचारों और कार्यों द्वारा अनगिनत लोगों के लिए मिसाल बन गाये है. मैं अब ज्यादा क्या कहूं उनका वीडियो  देखिये और महसूस कीजिये.

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

भट्टी साहब का अंदाज़


आप लोग टेलीविजन के लोकप्रिय हास्य कलाकार जसपाल भट्टी से परिचित तो जरुर होंगे .  वे शुरूआती  दौर में दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम फ्लॉप शो और उल्टा पुल्टा से हम सबके बीच लोकप्रिय हुए. 



 आज के समय में भी वे अपने नॉनसेंस क्लब के नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समय समय पर सामाजिक मुद्दों को उठाते रहते है. इन सब में उनकी पत्नी सविता भट्टी भी बराबर की साझेदार रहती है.


कुछ दिनों पहले जब एक के बाद एक घोटाले हमारे सामने आ रहे थे उस समय वे सड़क पर ऐसे अपील करते नज़र आये.

थोड़े दिनों पहले उनके मेड आर्ट फिल्म स्कूल ने एक लघु फिल्म नन्ही चिड़िया बनाई जो बहुत लोकप्रिय हुई.

यह फिल्म कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करने के उद्देश्य से बनाई गई है. इस लघु फ़िल्म को कई पुरस्कार भी मिले है. आप भी यह फिल्म जरुर देखे.


अंत में हम यह तो जरुर ही कह सकते है कि वे अपने कला के माध्यम से सरकार का विरोध तो करते ही है साथ ही साथ हमारे समाज में फैली विसंगतियों पर हमारा ध्यान भी आकृष्ट करते रहते है.

 आपने भी उनके बहुत से ऐसे कार्यक्रम जरुर ही देखे होंगे जिसमे हास्य के साथ साथ एक सार्थक सन्देश भी छुपा होता है. सच्चे अर्थों में वे एक समाज सुधारक की भूमिका भी निभा रहे है.

 शायद हमारी सरकार को भी इससे कुछ सिखने को मिल जाये.



रविवार, 26 जून 2011

अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री और गरीबी


हमारा देश सदियों से एक कृषि प्रधान देश रहा है और शायद गरीबी प्रधान देश भी. भारत की जनसँख्या इक्कीसवी सदी के इस दौर में भी प्रायः छोटे छोटे गाँव और कस्बों में जीवन यापन करती है. हमारा देश चुकि एक कृषि प्रधान देश है इसलिए हमारी अर्थव्यवस्था और किसानो का गहरा सम्बन्ध है. ठीक उसी तरह किसान और गरीबी का भी सम्बन्ध उतना ही गहरा बन जाता है  . अब जरा हमारे देश में गरीबों की क्या स्थिति है इस पर गौर करे .

  अन्तराष्ट्रीय मान्यताओं के अनुसार १.२५ डॉलर(  लगभग साठ रूपये )से कम कमाने वाला व्यक्ति गरीबी की रेखा के नीचे का व्यक्ति है यदि हम यह मान ले तो करीब चालीस प्रतिशत भारतीय "गरीबी की रेखा" के नीचे आ जाते है.

    लगभग विश्व की एक तिहाई आवादी जो गरीबी की रेखा के नीचे है वे भारत में निवास करते है.
  गरीबी में सबसे ज्यादा योगदान राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य  उत्तर प्रदेश , बिहार का है सबसे कम    योगदान गोवा का है .

पर यदि योजना आयोग की माने तो ५७८ रूपये /महिना कमाने वाला व्यक्ति गरीबी की रेखा के नीचे आता है. इसका मतलब बीस रूपये से कम प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति गरीबी की रेखा के नीचे है. ये तो शहर की बात है. गाँव की परिस्थितियों पर नज़र डाले तो स्थिति और भी हास्यास्पद है.गाँव में प्रति दिन १५ रूपये कमाने वाला व्यक्ति गरीबी की रेखा के नीचे है.
जहाँ एक तरफ भारत में गरीबो की यह स्थिति है वहीँ आश्चर्य की बात यह भी है की साल दर साल हमारे देश में करोड़ पतियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है .  प्रश्न यह उठता है की इस असमानता का क्या कारण है ?

भारत की आर्थिक नीतियाँ...

भ्रस्टाचार और काला धन 

गरीबों के प्रति उदासीनता का भाव (ऊँचे तबके के लोगों का )

अनाज के भण्डारण और वितरण प्रणाली में दोष 

अशिक्षा और बढती हुई जनसँख्या  
.
.
.

योजना आयोग से गरीबी तो कम हो नहीं रही है सो गरीबों की संख्या को कम करने के लिए गरीबी की रेखा को अपने हिसाब से नीचे खिसका दिया है. संयोग से हमारे माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह , योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह आहुलिवालिया वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी तीनो अर्थशास्त्र  में विशेष दक्षता रखते है . केवल प्रधानमंत्री का अनुभव देखें तो वे सन १९८५ से १९८७ के बीच भारतीय रिजर्ब बेंक में गवर्नर और  योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके है. वे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में एक कुशल वित्त मंत्री माने जाते रहे है. हमारे प्रधानमंत्री के ये अनुभव किस दिन कम आयेंगे ये तो शायद भगवान को ही मालूम होगा.

अब तो सरकार को जागना चाहिए . भ्रस्टाचार को मिटाने के  लिए कारगर कदम उठाने होंगे . काला धन देश में लाने के  प्रयास करने चाहिए . आर्थिक नीतियाँ गरीबो के अनुसार बनाना चाहिए न की उद्योगपतियों के अनुसार .  व्यक्ति की मूलभूत जरुरत की चीजो में सब्सिडी बढ़ानी चाहिए और विलासिता की चीजो से उसकी भरपाई करनी चाहिए.

 इस दिशा में ऊपर से नीचे तक सभी को योगदान करना होगा.हमारे मंत्रियों को भी अपने ऊपर खर्च करते समय ये ध्यान में रखना होगा की वे विश्व की एक तिहाई गरीबों का प्रतिनिधित्व करते है. संसद भवन के केंटिन में जितनी आसानी से हमारे संसद सदस्यों को भोजन  की थाली उपलब्ध हो जाती है उतनी ही आसानी से हर एक नागरिक के मुंह तक निवाला पहुचना ही  होगा.

आप लोगों को क्या लगता है...?



सोमवार, 6 जून 2011

हमारे लिए बाबा रामदेव का सत्याग्रह


हम सभी जानते है की बाबा रामदेव का अनशन हो रहा है पहले दिल्ली में हो रहा था लेकिन बाद में सरकार द्वारा दिल्ली से हटाये जाने के बाद इस समय हरिद्वार से जारी है .  लेकिन हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इस अनशन के उद्देश्य को शायद ठीक ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं साथ ही यदि  मांग पूरी हो जाये तो जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कितने फायदे  होंगे उससे अनिभिज्ञ हैं .


आप लोगों से अनुरोध है कि ऐसे लोगों को इस पोस्ट की जानकारी अवश्य दे एवं उनका सही मार्गदर्शन करें ताकि वे समझ सकें की बाबा रामदेव ये लड़ाई उनके लिए ही लड़ रहे है..

१. लगभग चार सौ लाख करोड़ रूपये भारत के जो विदेश में काले धन के रूप  में है उसे राष्ट्रीय सम्पति   सरकार को घोषित  करना चाहिए .
२. सरकार सक्षम लोकपाल कानून बनाकर भ्रस्टाचार पर अंकुश लगाकर सम्पूर्ण काले धन के स्त्रोत को बंद करे.
३. स्वतंत्र भारत में चल रहा विदेशी तंत्र समाप्त होना चाहिए .

भारत का जो भी पैसा विदेशो में जमा है वह भारत के आम लोगों के द्वारा टैक्स के रूप में दिया गया पैसा है या विभिन्न गलत साधनों के द्वारा इकठ्ठा किया गया पैसा है . हम ये कह सकते है कि जिन लोगों ने इस पैसे को जमा किया है उनका इस पैसे पर कोई अधिकार ही नहीं है. 


विदेशों में जमा धन को वापस लेन के लिए यूनाइटेड नेसन्स कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन का सहारा लेकर भारतीय संसद को कानून बनाकर पहल करनी चाहिए. जिससे भारत का १४० देशों से पैसा लाने का राष्ट साफ हो जायेगा.


रिश्वत खोरी , जमाखोरी  आदि अबैध कामो में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 500 या 1000 रूपये की बड़ी मुद्राओं का उपयोग किया जाता है. क्योंकि बड़ी मुद्राओं से लेन देन आसान होता है. 500 या  1000 रूपये की बड़ी मुद्राओं के ख़तम होने से काले धन पर रोक लगाई जा सकती है.


काले धन के देश में आ जाने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी क्योंकि काला धन विदेशी मुद्रा के रूप में देश में आएगा. रुपया विदेशी मुद्राओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली हो जायेगा. जिससे सभी देश वासी धनवान होंगे. एक अनुमान के मुताबिक 
यदि सारा काला धन देश में आ जाये तो हर जिले को  60  हज़ार करोड़ रूपये और हर गाँव को 100 करोड़ रूपये मिल सकते है. ये धन देश की प्रगति पर   खर्च करने से देश प्रगति की नई उंचाइयों को छु सकता है.

कई देशों जैसे नाइजीरिया, पेरू , फिलिपिन्स , जाम्बिया अपने लाखों डॉलर दूसरे देशों से ला सकते है तो भारत भी प्रयास करे तो अपने पैसे ला सकता है और भारत को उसे लाना भी चाहिए  क्योंकि हमारी जनता को उसकी बहुत ज्यादा जरूरत है. भगवान ही  जाने हमारे देश की सरकार को इतनी दिक्कत क्यों आ रही है ?
इसलिए हम सभी को किसी भी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन को समर्थन देने का प्रयास करना चाहिए .


इसी विषय पर दिनांक 07/06/1911  को  नवभारत के मुंबई अंक के पेज चार पर प्रकाशित यह लेख देख सकते है.