जय हिन्द वन्देमातरम

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सोमवार, 6 जून 2011

हमारे लिए बाबा रामदेव का सत्याग्रह


हम सभी जानते है की बाबा रामदेव का अनशन हो रहा है पहले दिल्ली में हो रहा था लेकिन बाद में सरकार द्वारा दिल्ली से हटाये जाने के बाद इस समय हरिद्वार से जारी है .  लेकिन हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इस अनशन के उद्देश्य को शायद ठीक ढंग से समझ नहीं पा रहे हैं साथ ही यदि  मांग पूरी हो जाये तो जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कितने फायदे  होंगे उससे अनिभिज्ञ हैं .


आप लोगों से अनुरोध है कि ऐसे लोगों को इस पोस्ट की जानकारी अवश्य दे एवं उनका सही मार्गदर्शन करें ताकि वे समझ सकें की बाबा रामदेव ये लड़ाई उनके लिए ही लड़ रहे है..

१. लगभग चार सौ लाख करोड़ रूपये भारत के जो विदेश में काले धन के रूप  में है उसे राष्ट्रीय सम्पति   सरकार को घोषित  करना चाहिए .
२. सरकार सक्षम लोकपाल कानून बनाकर भ्रस्टाचार पर अंकुश लगाकर सम्पूर्ण काले धन के स्त्रोत को बंद करे.
३. स्वतंत्र भारत में चल रहा विदेशी तंत्र समाप्त होना चाहिए .

भारत का जो भी पैसा विदेशो में जमा है वह भारत के आम लोगों के द्वारा टैक्स के रूप में दिया गया पैसा है या विभिन्न गलत साधनों के द्वारा इकठ्ठा किया गया पैसा है . हम ये कह सकते है कि जिन लोगों ने इस पैसे को जमा किया है उनका इस पैसे पर कोई अधिकार ही नहीं है. 


विदेशों में जमा धन को वापस लेन के लिए यूनाइटेड नेसन्स कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन का सहारा लेकर भारतीय संसद को कानून बनाकर पहल करनी चाहिए. जिससे भारत का १४० देशों से पैसा लाने का राष्ट साफ हो जायेगा.


रिश्वत खोरी , जमाखोरी  आदि अबैध कामो में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से 500 या 1000 रूपये की बड़ी मुद्राओं का उपयोग किया जाता है. क्योंकि बड़ी मुद्राओं से लेन देन आसान होता है. 500 या  1000 रूपये की बड़ी मुद्राओं के ख़तम होने से काले धन पर रोक लगाई जा सकती है.


काले धन के देश में आ जाने से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाएगी क्योंकि काला धन विदेशी मुद्रा के रूप में देश में आएगा. रुपया विदेशी मुद्राओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली हो जायेगा. जिससे सभी देश वासी धनवान होंगे. एक अनुमान के मुताबिक 
यदि सारा काला धन देश में आ जाये तो हर जिले को  60  हज़ार करोड़ रूपये और हर गाँव को 100 करोड़ रूपये मिल सकते है. ये धन देश की प्रगति पर   खर्च करने से देश प्रगति की नई उंचाइयों को छु सकता है.

कई देशों जैसे नाइजीरिया, पेरू , फिलिपिन्स , जाम्बिया अपने लाखों डॉलर दूसरे देशों से ला सकते है तो भारत भी प्रयास करे तो अपने पैसे ला सकता है और भारत को उसे लाना भी चाहिए  क्योंकि हमारी जनता को उसकी बहुत ज्यादा जरूरत है. भगवान ही  जाने हमारे देश की सरकार को इतनी दिक्कत क्यों आ रही है ?
इसलिए हम सभी को किसी भी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन को समर्थन देने का प्रयास करना चाहिए .


इसी विषय पर दिनांक 07/06/1911  को  नवभारत के मुंबई अंक के पेज चार पर प्रकाशित यह लेख देख सकते है. 








23 टिप्‍पणियां:

Vivek Jain ने कहा…

माफ कीजिये, माहौल ऐसा बन गया है कि बाबा को जो समर्थन न दे वो भ्रष्ट,पर बाबा को क्या नहीं पता कि करोड़ों रुपयों का दान जो उन्हें मिला है उसमें से अधिकतर काला पैसा है. नाइजीरिया, पेरू , फिलिपिन्स , जाम्बिया , जिन भी देशों का नाम आपने लिया वे अपने डॉलर नहीं बल्कि सत्ता विरोधियों के पैसे को जब्त करके अपने यहां लाये हैं, इस आंदोलन को समर्थन देने से कुच नहीं होग, बल्कि अपने को सुधारना होगा, कानून मत तोड़ो, रिश्वत न लो और ना दो(मजबूरी में भी नहीं),आपना वोट सही आदमी को दो, और संतों,मौलवियों व राजनेतायों में अंतर करना सीखो.
बस इतना ही,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

रेखा ने कहा…

विवेक जी बात सिर्फ इतनी सी है कि काला धन कैसे लाया जाये और इसके लिए सरकार को तुरंत कार्यवाही करनी होगी. सिर्फ लोगों को बताने के लिए नहीं बल्कि कानून बनाकर अमल में लाना होगा. आप यु एन सी ए सी के बारे में भी और जानकारी प्राप्त करें और हमें भी बताएं .यदि पांच सौ और हज़ार रूपये के नोट केवल बंद कर दिए जाये तो भी भ्रस्टाचार और नकली नोटों की समस्या से काफी हद तक पर पाया जा सकता है. सच्चाई तो ये है कि देश का कोई भी आम आदमी अगर इस दिशा में आगे बढ़कर कुछ करने की कोशिश कर रहा है तो मैं उसका समर्थन करूंगी. रही बाबा रामदेव की बात तो वे भी कानून से परे तो हैं नहीं . आपके लिए मैंने अपनी पोस्ट में कुछ जोड़ा हैं वह भी पढ़े.
मुझे दुष्यंत कुमार की एक कविता याद आ रही है.
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
.
.
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

जनहित में उठाया गया हर कदम स्वागत योग्य होता है
बाबा रामदेव का समर्थन किया जाना चाहिए.
एक सराहनीय प्रयास।

ZEAL ने कहा…

रेखा जी ,
एक बहुत ही सार्थक आलेख के लिए आपका आभार।

Bharat Bhushan ने कहा…

आपके आलेख की इमानदारी प्रशंसनीय है. समस्या वहाँ है जहाँ यह आंदोलन राजनीति में प्रवेश करता है. आपके लेखन ने मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाया है.

G.N.SHAW ने कहा…

बहुत ही सुन्दर पोस्ट..बिलकुल मेरे विचार से मेल ! मेरे पोस्ट में बालाजी देंखे!इस तरह की पोस्ट के लिए बधाई !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

nice post

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

ऐसी घटनाएँ बेहद अफसोसजनक हैं निंदनीय हैं.......... सार्थक पोस्ट ....
डॉ . मोनिका शर्मा

संजय भास्‍कर ने कहा…

बाबा रामदेव का समर्थन किया जाना चाहिए....

संजय भास्‍कर ने कहा…

कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका

बेनामी ने कहा…

प्रेरक तथा सार्थक आलेख जिसमें जनहित के मुद्दों को रेखांकित किया है

prerna argal ने कहा…

bahut saarthak achchi jaankaari deta hua lekh.badhaai.




please visit my blog.thanks.

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.आपको मेरी पर्यावरण की ग़ज़ल पसंद आयी ,आभार.आपने बताया की आपने उसे अपने face book पर लगाया है.मैं उसे देख नहीं पा रहा हूँ क्योंकि मुझे आपकी id नहीं पता है.कृपया अपनी id बताएं ताकि face book पर देख सकूं.मेरी id है: kunwar.kusumesh@gmail.com

संतोष पाण्डेय ने कहा…

बाबा रामदेव का समर्थन किया जाना चाहिए.बाबा कामयाब हो, दुआ करें.

Patali-The-Village ने कहा…

प्रेरक तथा सार्थक आलेख जिसमें जनहित के मुद्दों को रेखांकित किया है|

Shalini kaushik ने कहा…

sahi baten kahi hai aapne rekha ji ,
par baba ko bhi to isme swayam ko sammilit karna hoga aur apne bahut se chhipe dhan ka khulasa desh hit me karna hoga.

virendra sharma ने कहा…

राजीव गांधी की राजनीति में आत्मघाती गलती क्या था ?खुद को मिस्टर क्लीन घोषित करवाना .इंदिराजी श्यानी थीं उनकी सरकार में चलने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जब उनकी राय पूछी गई उन्होंनेझट कहा यह तो एक भूमंडलीय फिनोमिना है .हम इसका अपवाद कैसे हो सकतें हैं .(आशय यही था सरकारें मूलतया होती ही बे -ईमान और भ्रष्ट हैं ).यह वाकया १९८३ का है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय केएक ईमानदार न्यायाधीश महोदय ने निराशा और हताशा के साथ कहा था वहां क्या हो सकता है भ्रष्टाचार के बिरवे का जहां सरकार की मुखिया ही उसे तर्क सम्मत बतलाये .यही वजह रही इंदिराजी पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा न ही उन्होंने कभी अपने भ्रष्टाचार और इस बाबत निर्दोष होने का दावा किया .ज़ाहिर है वह मानतीं थीं-"काजल की कोठारी में सब कालेही होतें हैं .ऐसा होना नियम है अपवाद नहीं ।
राजीव गांधी खुद को पाक साफ़ आदर्श होने दिखने की महत्व -कांक्षा पाले बैठे थे और इसलिए उन्हें बोफोर्स के निशाने पर लिया गया और १९८९ में उनकी सरकार को खदेड़ दिया गया .जब की इंदिराजी ने खुद को इस बाबत इम्युनाइज़्द ही कर लिया था ,वे आखिर व्यावहारिक राजनीतिग्य थीं ।
राजनीति -खोरों के लिए इसमें यही नसीहतऔर सबक है अगर ईमानदार नहीं हो तो वैसा दिखने का ढोंग (उपक्रम )भी न करो .
लेकिन सोनिया जी ने अपने शोहर वाला रास्ता अपनाया है त्यागी महान और ईमानदार दिखने का .लगता है १९८७-१९८९ वाला तमाशा फिर दोहराया जाएगा .हवा का रुख इन दिनों ठीक नहीं है ।आसार भी अच्छे नहीं हैं .अप -शकुनात्मक हैं ।
राजीव गांधी का अनुगामी बनते हुए और इंदिराजी को विस्मृत करते हुए नवम्बर २०१० में एक पार्टी रेली में उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टोलरेंस "का उद्घोष किया ।
चंद हफ़्तों बाद ही उन्होनें अपना यह संकल्प कहो या उदगार दिल्ली के प्लेनरी सेशन में दोहरा दिया .उन्होंने पार्टी काडर का आह्वाहन किया भ्रष्टाचारियों को निशाने पे लो किसीभी दगैल को छोड़ा नहीं जायेगा . दार्शनिक अंदाज़ में यह भी जड़ दिया भ्रष्टाचार विकास के पंख नोंचता है ।
तब से करीब पच्चीस बरस पहले राजीव गांधी ने भी पार्टी के शताब्दी समारोह में मुंबई में ऐसे ही उदगार प्रगट किये थे ।
अलबत्ता दोनों घोषणाओं के वक्त की हालातों में फर्क रहा है ,राजीव जी के खिलाफ तब तक कोई "स्केम ",कोई घोटाला नहीं था .क्लीन ही दीखते थे वह ।
लेकिन सोनिया जी से चस्पा थे -कोमन वेल्थ गेम्स ,टू जी ,आदर्श घोटाले ।
राजीव जी बोफोर्स के निशाने पर आने से पहले बे -दाग ही समझे गए .लेकिन सोनियाजी की राजनीतिक तख्ती पर सिर्फ कात्रोची ही नहीं लिखा है ,क्वाट -रोची स्विस बेंक की ख्याति वाले और भीं अंकित हैं साफ़ और मान्य अक्षरों में ।
मामला इस लिए भी संगीन रुख ले चुका है एक तरफ विख्यात स्विस पत्रिका और दूसरी तरफ एक रूसी खोजी पत्रकार द्वारा गांधी परिवार के सनसनी खेज घोटालों के खुलासे के बाद सोनिया जी के कान पे आज दो दशक बाद भी जूं भी नहीं रेंगीं हैं ,है सूंघ गया सामिग्री सामिग्री है .साहस नहीं हुआ है उनका प्रतिवाद का या मान हानि के बाबत मुक़दमे या और कुछ करने का .
(ज़ारी ...).
सन्दर्भ -सामिग्री:-

virendra sharma ने कहा…

सन्दर्भ -सामिग्री :-http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed.htmसमर्थन करता हूँ आपकी पोस्ट का .लीजिये इसी कि अगली कड़ी -पहले आपके ब्लॉग पर ही सही अभी हमने अपने पर भी नहीं पोस्ट किया है -नवम्बर १९,१९९१ के अंक में स्विटज़र -लेंड कीएक नाम चीन पत्रिका (स्वैज़र इलस -ट्री -एर्टे) ने तीसरी दुनिया के कोई एक दर्ज़नऐसे राज -नीतिज्ञों का पर्दा फास किया जिन्होनें रिश्वत खोरी का पैसा स्विस बेंक में ज़मा करवा रखा था .इनमें कथित मिस्टर क्लीन भी थे .इस नामचीन पत्रिका की कोई २,१५ ,००० प्रतियां प्रति अंक बिक जातीं हैं .पाठक संख्या स्विटज़र -लेंड की कुल वयस्क आबादी का कोई छटा हिस्सा रहता है लगभग ९,१७,००० प्रति अंक ।
के जी बी रिकोर्ड्स के हवाले से बतलाया गया था राजीव की विधवा का यहाँ कोई ढाई अरब फ्रांक (तकरीबन २.२ अरब बिलियन डॉलर्स ) से गुप्त एकाउंट चल रहा है .इनके अल्प -वयस्क पुत्र के नाम से यह खाता ज़ारी था (जो अब कोंग्रेस के राजकुमार हैं )।
बतलाया यह भी गया था यह लेखा अनुमान के मुताबिक़ जून १९८८ से भी पहले से ज़ारी था जब राजीव ने भारी जन समर्थन बटोरा था ।
रुपयों में यह राशि वर्तमान के १०,००० करोड़ आती है .स्विस बेंक में पैसा द्विगुणित होता रहता है ।
लॉन्ग टर्म सिक्युरितीज़ में निवेश करने पर यह २००९ में ही हो जाता ४२,३४५ करोड़ रुपया .अमरीकी स्टोक्स में निवेशित होने पर हो जाता १२.९७ अरब डॉलर (५८ ,३६५ करोड़ रूपये )।
जो हो आज इसगांधी परिवार के खाते की कीमत 4३,००० -८४,००० करोड़ के बीच हो गई है ।
(ज़ारी ...)

virendra sharma ने कहा…

नवम्बर १९,१९९१ के अंक में स्विटज़र -लेंड कीएक नाम चीन पत्रिका (स्वैज़र इलस -ट्री -एर्टे) ने तीसरी दुनिया के कोई एक दर्ज़नऐसे राज -नीतिज्ञों का पर्दा फास किया जिन्होनें रिश्वत खोरी का पैसा स्विस बेंक में ज़मा करवा रखा था .इनमें कथित मिस्टर क्लीन भी थे .इस नामचीन पत्रिका की कोई २,१५ ,००० प्रतियां प्रति अंक बिक जातीं हैं .पाठक संख्या स्विटज़र -लेंड की कुल वयस्क आबादी का कोई छटा हिस्सा रहता है लगभग ९,१७,००० प्रति अंक ।
के जी बी रिकोर्ड्स के हवाले से बतलाया गया था राजीव की विधवा का यहाँ कोई ढाई अरब फ्रांक (तकरीबन २.२ अरब बिलियन डॉलर्स ) से गुप्त एकाउंट चल रहा है .इनके अल्प -वयस्क पुत्र के नाम से यह खाता ज़ारी था (जो अब कोंग्रेस के राजकुमार हैं )।
बतलाया यह भी गया था यह लेखा अनुमान के मुताबिक़ जून १९८८ से भी पहले से ज़ारी था जब राजीव ने भारी जन समर्थन बटोरा था ।
रुपयों में यह राशि वर्तमान के १०,००० करोड़ आती है .स्विस बेंक में पैसा द्विगुणित होता रहता है ।
लॉन्ग टर्म सिक्युरितीज़ में निवेश करने पर यह २००९ में ही हो जाता ४२,३४५ करोड़ रुपया .अमरीकी स्टोक्स में निवेशित होने पर हो जाता १२.९७ अरब डॉलर (५८ ,३६५ करोड़ रूपये )।
जो हो आज इसगांधी परिवार के खाते की कीमत 4३,००० -८४,००० करोड़ के बीच हो गई है ।
(ज़ारी ...)
सन्दर्भ -सामिग्री :-http://www.iretireearly.com/sonia-gandhi-and-congress-secret-billions-exposed.htm

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

मुद्दा सही है, पर जिस आदमी की अगुवाई में आंदोलन हो रहा है वो खुद गलत है। ईमानदारी की लड़ाई ईमानदार ही लड़ सकता है।

रविकर ने कहा…

बाबा रामदेव का समर्थन किया जाना चाहिए |
चालबाज औ धूर्तराज सब, पकडे बैठे डाली - डाली |
आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली |

दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, सब गायों पर छान्द लगाया |
मगरमच्छ ने अपनी हद में, मत्स्य-केंद्र मंजूर कराया ||

महाघुटाले - बाजों ने की, जब तिहाड़ की पहरेदारी |
जल्लादों ने छीनी मठ की, ठग-महन्त से कुल मुख्तारी||

तिलचट्टों ने तेल कुओं से, अपनी शाश्वत प्यास बुझाई |
रक्त-कोष की पहरेदारी, नर-पिशाच के जिम्मे आई ||

Shivam Mishra ने कहा…

Nice Post:- 👉Arishfa Khan Whatsapp Number