जय हिन्द वन्देमातरम

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सोमवार, 2 अगस्त 2010

चरित्र चित्रण : सुपुत्रे राजनीतिज्ञ

मैंने अब तक यही सुना था की स्त्री चरित्र को समझना टेढ़ी खीर है पर पिछले दिनों हमने मीडिया के माध्यम से एक ऐसे पुरुष चरित्र से अवगत हुए जिसको समझना मेरे लिए तो क्या पुरे देश के लिए एक पहेली थी. एक संभ्रांत राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवक जो आगे चलकर हमारे देश की प्रगति में भागीदार बन सकते थे या फिर देश की युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श स्थापित कर सकते थे . उनके निजी जिन्दगी की उलझने इस तरह सामने आई ऐसा तो उनके परिवार के किसी व्यक्ति ने सोचा था न हम सब ने . उनके पिता जहाँ एक राजनीतिक दल के अग्र पंक्ति के नेता थे और जिनकी छवि एकदम साफ सुथरी मानी जाती थी . उनके संस्कारो की छाया में पले हुए उनकी खुद की संतान ऐसा भी रंग दिखा सकती है ऐसा तो किसी ने सपने मैं भी नहीं सोचा होगा. अकस्मात् उनके पिता का निधन हो जाने के उपरान्त जनता ने उनसे बहुत सी उम्मीदे ज़रूर लगाई होंगी और सोचा होगा की वह एक दिन अपने पिता का उत्तरदायित्व संभालेंगे और भविष्य में ज़रूर कुछ कर दिखायेंगे . आज भी हमारे देश में लडको को ही अपने पिता का सच्चा उत्तराधिकारी माना जाता है और जिनके पुत्र नहीं होते है ऐसा कहा जाता है की उनका नाम को आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं है . एक पुत्री के होते हुए भी ये कथन क्या वर्तमान परिपेक्ष में प्रासंगिक है ? इस विषय पर बाद में चर्चा करेंगे .
आज हम उस सुपुत्र के बारे में चर्चा करना चाहेंगे जिन्होंने अपने कर्मो के द्वारा पिता की छवि को धूमिल किया और भविष्य में उनसे कुछ उम्मीद रखना या उनपे विश्वास करना नामुमकिन होगा . हमने ऐसा सुना था कि उनके पिता कि अस्थियां भी विसर्जित नहीं हो पायी और वह नशे में धुत पाए जाते हैं . इस आचरण के परिणाम स्वरूप वह एक बार पुलिस के हत्थे भी चढ़ चुके है . इसके बाद तो उनका एक न एक विवादित रूप सामने आता रहा . उनका पहली पत्नी से सम्बन्ध विच्छेद पहली पत्नी के साथ ख़राब आचरण के कारण हुआ . इसके पश्चात टेलीविजन पर एक रियेलटी शो के दौरान उनकी रंगीन मिजाजी हमारे सामने आ चुकी है इस बात को शायद हम भुला भी नहीं पाए थे कि एक चैंनल पर उनके स्वंवर का समाचार मिला . फिर उन्होंने चैंनल पर सब के सामने विधि विधान से विवाह भी किया परन्तु विवाह के पांच महीने भी पुरे नहीं हुए थे कि पत्नी कि साथ मार- पीट कि खबर आई . बात इतनी बढ़ गई कि पुनः सम्बन्ध बिच्छेद कि अटकले लगाई जाने लगी . परन्तु ऐसा लगता है कि अभी उनका और भी रूप देखना बाकी है . फिलहाल तो वे एक खुशहाल पति पत्नी कि तरह अपने आप को प्रस्तुत करना चाह रहे है . आगे भगवान् जाने .........!!!
हम तो केवल शुभ-कामना ही कर सकते है ...
क्या बच्चो के आस-पास के माहौल एवं उनके माता-पिता के द्वारा दिए हुए संस्कार ही उनके चरित्र निर्माण के लिए काफी है ?

3 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

हाथी के दांत खाने के और दिखने के और होते हैं ये बात यहाँ सच साबित होती है.

Udan Tashtari ने कहा…

इन महाराज से भला कब किसने कोई उम्मीद लगाई थी. इनके लक्षण तो जमाने से जग जाहिर हैं. बड़े बाप की बिगड़ैल औलाद है.

एक निवेदन:

कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये

वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>

इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.

राम त्यागी ने कहा…

हो सकता है कि बाप के कर्म भी ऐसे रहे हों