सबसे पहले आप सभी लोगों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ . देश के विभिन्न भागो में इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किये गए . पुरे दुनिया में हिंदी से जुड़े लोगों ने हिंदी दिवस को मनाया और आगे भी मानते रहेंगे. सरकारी बिभागों ने कुछ लोगों की नियुक्ति ही इसलिए कर के रखी है जिससे की हिंदी दिवस हर साल मनाकर एक औपचारिकता पूरी की जा सके . कुछ एक कार्यक्रमों में हमने ऐसा भी देखा कि इस विशेष अवसर पर बड़े बड़े विद्वान अपने विचार रखते हुए हिंदी में न बोल पाने की मजबूरी बताते हुए माफ़ी भी मांग लेते हैं .
सरकार भले ही हिंदी दिवस को एक औपचारिकता समझती हो लेकिन कई विद्वानों ने इसके महत्व को समझा हैं ......
"अपनी संस्कृति की विरासत हमें संस्कृत ,हिंदी ,गुजराती इत्यादि देशी भाषाओँ के द्वारा ही मिल सकती है. अंग्रेजी को अपनाना आत्मनाश होगा. सांस्कृतिक आत्महत्या होगी ."
------महात्मा गाँधी
"देश के सबसे बड़े भूभाग में बोली जाने वाली हिंदी ही राष्ट्रभाषा की अधिकारिणी है "
------सुभाषचंद्र बोस
"अखिल भारतवर्ष में हिंदी एक समान रूप से लोकप्रिय संपर्क भाषा है ,और सभी के लिए इसे बोलना ,समझाना सिखाना अच्छा है "
----चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
"सभ्य संसार के किसी भी जन -समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है "
-------महामना मदनमोहन मालवीय
"अपनी मातृभाषा बांगला में लिखाकर मैं "बंगबंधु " तो हो गया ,किन्तु "भारतबंधु " मैं तभी हो सकूँगा जब भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखूंगा "
------ बंकिम चन्द्र चटर्जी
"हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओँ की हानि नहीं , वरन लाभ है "
--------अनंतशयनम अयंगार
"सरलता से सीखी जाने योग्य भाषाओँ में हिंदी सर्वोपरि है "
-------------लोकमान्य बालगंगाधर तिलक
"हिंदी वाह धागा है जो विभिन्न मातृभाषा रूपी फूलों को पिरोकर भारतमाता के लिए सुन्दर तार का सृजन करता है "
डॉ. जाकिर हुसैन
"अंग्रेजी यहाँ दासी या अतिथि के रूप में ही रह सकती है .बहुरानी के रूप में नहीं "
------फादर कामिल बुल्के
"हिंदी सीखे बिना भारतीयों के दिल तक नहीं पहुंचा जा सकता "
--------डॉ लोठार लुत्से
"हिंदी हर प्रदेश में संयोजक भाषा के रूप में फैल गई है .यही भारत की राष्ट्रभाषा बन सकती है .अत यथाशीघ्र अपनी भाषा को राष्ट्रभाषा की प्रतिष्ठा देनी चाहिए .नहीं तो भारत इस संसार में और अधिक पिछड़ जाएगा "
------योहचि युकिशिता (जापान)
"हिंदी एक समृद्ध भाषा है .इसमें कोई दो मत नहीं हो सकता ,हिंदी एक सरल भाषा है और देवनागरी जैसी लिपि तो शायद ही कोई हो "
-----डॉ प आ वारान्निकोव (हिंदी के प्रसिद्ध रुसी विद्वान् )
"हिंदी ही भारत की एकमात्र राजभाषा हो सकती है भारत में उसकी पूरी प्रतिष्ठा होने पर यह सहज ही अंतरराष्ट्रीय भाषा बन सकती है ,क्योंकि अनेक देशों में हिंदी के अध्ययन में रूचि ली जा रही है "
----बांक कन्वे (कोरियाई भाषाविद एवं संस्कृत -हिंदी के विद्वान् )
"हिंदी एक ऐसी भाषा है जो भारत में सर्वत्र बोली और समझी जाती है "
-------जोर्ज ग्रियर्सन
"मैं चाहता हूँ कि भारत की राजभाषा हिंदी तेरह कोहिनूरों का किरीट धारण कर भारतीय रंगमंच पर अवतीर्ण हो और मैं उसके इस रूप को इन्हीं आँखों से इसी जीवन में देखूं "
---------ओडोलेन स्मेकल , चेकेस्लोवाकिया
ये तो रही विश्व भर के विद्वानों की हिंदी भाषा के सम्बन्ध में उल्लेखनीय विचार, अब हमारे देश के माननीय गृह मंत्री का हिंदी दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम सन्देश पर भी कुछ बात हो जाये . कभी गलती से भी हिंदी न बोलने वाले मंत्री जी का सन्देश विचारणीय है. ....
उन्होंने नगर राजभाषा कार्यान्वन समितियों के स्थापना की बात कही है .
हमें हिंदी का भी उतना ही ज्ञान होना चाहिए जितना प्रांतीय और अंतराष्ट्रीय भाषाओँ का .
उन्होंने हिंदी भाषा के प्रगति के लिए कार्य कर रही विभिन्न सरकारी संस्थाओं को और प्रभावी बनाने पर बल दिया है .
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कुल मिलाकर मेरा मन तो यही कहता है की भारत में अंग्रेजी का हाल क्रिकेट और हिंदी का हाल हॉकी जैसा है . जैसे कि हिंदी आज़ादी के बाद से ही आज तक अपना सम्मान पाने के लिए संघर्ष कर रही है वैसा ही हाल हॉकी का भी है .
फिर भी हम तो आशावान है बौलीवुड , सॉफ्टवेयर जगत के दिग्गजों ( माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ) , सी-डेक , ब्लॉगजगत , विकिपीडिया , इन्टरनेट एवं विभिन्न हिंदी पुस्तकों के प्रकाशकों ने जो उल्लेखनीय कार्य किया है वह सराहनीय है . ये सभी आगे भी हिंदी भाषा की प्रगति के लिए कार्य करते रहेंगे और इस भाषा को ऊँचे शिखर पर जरुर ले जायेंगे.
आपके क्या विचार है .........................?